भारत के किसान हमारे अन्नदाता हैं - जो प्रत्येक देशवासी को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। कांग्रेस का दृढ़ विश्वास है कि देश को उन पुरुषों और महिलाओं का समर्थन करना चाहिए जो हमें भोजन उपलब्ध कराते हैं। किसान न्याय के लिए हमारी गारंटी किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाएगी, उन्हें निश्चितता और सुरक्षा प्रदान करेगी।
भारत में कृषि संकट में है, विशेषकर 90% छोटे किसान। खेती असल में जोखिम भरा काम हो गया है, क्योंकि किसानों को उनकी फसल का सही और निश्चित दाम की गारंटी देने वाली कोई निश्चित प्रणाली है ही नहीं। पिछला दशक और भी बुरा रहा है, अस्थिर फसल की कीमतों, प्राकृतिक आपदाओं और किसानों हितैषी नीतियां न होने के कारण हर दिन 30 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आज किसानों की आय कम हो गई है और वे कर्ज़ में डूब गए हैं।
इस सरकार ने केवल किसानों पर बोझ बढ़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन उल्टा उनका कर्ज़ दोगुना कर दिया है। वह 3 काले कृषि कानून लाए, जिनका उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुरक्षा को कमज़ोर करना, मंडी प्रणाली को नष्ट करना और किसानों को बड़े निगमों की दया के भरोसे छोड़ना था। जब किसानों ने विरोध किया, तो उनके साथ हिंसा की गई, आंसू गैस छोड़ी गई और उन्हें 'आतंकवादी' करार दिया गया। भाजपा ने साफ कर दिया कि वे न तो किसानों का सम्मान करते हैं और न ही उन्हें महत्व देते हैं। किसानों पर उन्होंने चारों तरफ से हमला किया।
कांग्रेस की किसान न्याय की पांच गारंटी किसानों की आय बढ़ाकर, उनकी लागत कम करेगी और उनके जोखिम को कम करके उनके बोझ को ख़त्म कर देंगे।
आज, फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव सबसे बड़ा जोखिम है जिसका किसानों को सामना करना पड़ता है, जिससे अक्सर नुकसान होता है। जब कीमतें गिरती हैं, तो छोटे और सीमांत किसान न तो अपनी फसल का भंडारण कर सकते हैं और न ही उसे कहीं दूर ले जा सकते हैं, जहां कीमतें अधिक हो सकती हैं। उन्हें अपनी फसल घाटे में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए स्वामीनाथन समिति ने उत्पादन लागत से 50% अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने की सिफारिश की।
कृषि कानून के विरोध के दौरान भाजपा ने एमएसपी का वादा किया था, लेकिन आज सरकार इस गारंटी को लागू करने से इनकार कर रही है। आज वर्तमान एमएसपी बेहद कम है (उदाहरण के लिए, धान पर 25% से कम), यह केवल चावल और गेहूं को ही कवर करता है, और कुछ राज्यों में ही प्रभावी है। इस फैक्ट को छुपाने के लिए, सरकार लगातार झूठ फैला रही है कि किसानों को एमएसपी देना देश के बजट पर भारी पड़ेगा। क्रिसिल जैसे विशेषज्ञ संगठनों के अनुमान के बावजूद कि एमएसपी की लागत 2023 के बजट का सिर्फ 0.4% होगी।
कांग्रेस पार्टी का मानना है कि प्रत्येक किसान अपनी फसल के लिए उचित मूल्य और अनिश्चित कीमतों से सुरक्षा का हकदार है। इसलिए, फसल के सही दाम के तहत हम स्वामीनाथन समिति के फॉर्मूले के अनुसार कानूनी स्थिति के साथ एमएसपी की गारंटी देते हैं।
किसानों के सामने दूसरा सबसे बड़ा खतरा बेवक्त बारिश, सूखा या कीटों के हमले जैसी प्राकृतिक आपदाओं का है। जो उनकी फसलों को नष्ट कर देते हैं। हालांकि सरकार प्राकृतिक आपदाओं को रोक नहीं सकती है, लेकिन वह किसानों को मुआवजा देकर उनकी रक्षा कर सकती है। किसानों का बीमा करने के लिए बनाई गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) बीमा कंपनियों के लिए पैसा कमाने वाली योजना साबित हुई है। PMFBY के पहले 5 वर्षों के दौरान बीमा कंपनियों ने 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमाया। इस बीच, किसानों का अभी भी 2,761 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। कांग्रेस की गारंटी है भुगतान का सीधा ट्रांसफर - फसल नुकसान के मामले में किसानों के बैंक खातों में 30 दिनों के भीतर सीधा भुगतान।
भाजपा सरकार की मनमानी व्यापार नीतियों से भी किसानों की आय को नुकसान हुआ है, जो निर्यात पर प्रतिबंध लगाती है जिससे किसानों को अधिक कीमत मिल सकती है। जबकि आयात पर कोई रोक नहीं है, इसके कारण उनकी कमाई में और अधिक नुकसान होता है। 8 वर्षों में, भारत का कृषि व्यापार अधिशेष एक तिहाई कम हो गया है - $28 बिलियन से $18 बिलियन। कांग्रेस इस किसान विरोधी नीति को पलट देगी। सही आयत-निर्यात नीति के तहत हम कृषि के लिए एक आयात-निर्यात नीति बनाने और लागू करने की गारंटी देते हैं जो किसानों के हितों की रक्षा को प्राथमिकता देगी।
इसके अलावा, किसानों पर उच्च करों का बोझ है। भाजपा ने कृषि-संबंधित उत्पादों पर कुछ मामलों में 28% तक जीएसटी लगाया, उर्वरक पर 12% जीएसटी, कीटनाशकों पर 16% जीएसटी और सिंचाई पर 10% जीएसटी। किसानों के लिए इनपुट लागत पहले से ही काफी अधिक है। कांग्रेस पार्टी जीएसटी-मुक्त खेती की गारंटी देती है - हम कृषि वस्तुओं को कर से मुक्त करने के लिए जीएसटी प्रणाली में संशोधन करेंगे।
किसान अनुचित कीमतें, फसल मुआवजे में देरी और कमाई से अधिक लागत को ज़्यादा समय तक नहीं झेल सकते। वे अपनी बुनियादी ज़रूरतों और अगले साल की फसल की लागत को कवर करने के लिए कर्ज़ लेने को मजबूर हो रहे हैं। भाजपा की गलत नीतियों ने किसानों को पहले से कहीं अधिक ऋण लेने के लिए मजबूर कर दिया है। आज किसानों पर कुल बकाया ऋण 2.5 गुना बढ़कर लगभग 23.44 लाख करोड़ रुपये हो गया है। और इस बीच किसानों के कर्ज़ का एक भी रुपया माफ नहीं किया गया है, जबकि 16 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट ऋण माफ कर दिए गए हैं। कांग्रेस कर्ज़ा माफी आयोग - आवश्यक ऋण माफी की राशि निर्धारित करने के लिए एक स्थायी कृषि ऋण माफी आयोग बनाकर इस अन्याय को स्थायी रूप से समाप्त करने की गारंटी देती है।
कांग्रेस पार्टी किसानों के सम्मान और गौरव को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी गारंटी किसानों को उचित मूल्य, कोई टैक्स नहीं, आयात और निर्यात के आश्वासन के साथ उनकी फसल उगाने में मदद करेगी, जिससे उन्हें मदद मिलेगी और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें समय पर ही मुआवज़ा भी मिलेगा। हम उनका दुख और बोझ हमेशा के लिए ख़त्म कर देंगे।
हमारे किसान देश का समर्थन करते हैं। देश को एक ऐसी सरकार की ज़रुरत है जो अपने किसानों का समर्थन करे।